Wednesday 3 April 2013




बाबुल प्यारे सजन सखा रे
सून मेरी मैय्या
बोझ नहीं मै किसी कि सर का
ना मजधार में नैय्या
पतवार बनुंगी
लेहारोंसे लडूंगी
अरे मुझे क्या बेचेगा रुपैया???

कल बाबा कि उंगली को थामे चली थी
कल बाबा कि लाठी भी बन जाउङ्गि
अम्मा तेरे घरोन्दे कि चिडिया हु मै
दाना लेकर हि वापस घर आउङ्गि
जिसकी फितरत में हैरत समाई नही
जिसको दौलत से ज्यादा मै भाई नही
ऐसे साजन कि मुझे जरूरत नही
ना केहेने का सुनलो मुहरत यही
अकेली चलुंगी
किस्मत से मिलुंगी
अरे मुझे क्या बेचेगा रुपैया???

दिल से दिल के तार तो जुडे नही
दो रसमोपे दौलत ये काहे बहे
हम दो प्यार कि ख्वाहिश में रिश्ते बूने
दो रिश्तो में लालच हम काहे सहे
क्या शादी के आगे जिंदगीहि नही
जो शादी हिसाबो कि केवल है वही
ऐसे शादी कि मुझको जरूरत नही
ना केहेने का सुनलो मुहरत यही
सुबह सी खिलुंगी
रतिया सी भरुंगी
अरे मुझे क्या बेचेगा रुपैया???

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